College History

कॉलेज का संक्षिप्त इतिहास

इस्लामपुर मगध का एक प्राचीन धरोहर जो अपने गर्भ में इतिहास के अनेक गौरव को संजोय है ,मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह के उतर पश्चिम एवं विश्व पश्चिम बिख्यत प्राचीन नालंदा विश्वविधालय से पश्चिम अवस्थित है l अपनी गोद में इस धरती ने अनेक विभूतियो को जन्म दिया है l इन्हीं महापुरुषों के श्रृंखला में एक थे श्री राम के अनन्य भक्त, परमज्ञानी महामना श्री योग्लानान्य शरण जी महाराज-जिन्होंने अयोध्याधाम में श्री लक्ष्मण किला की स्थापना की l ऐसे ज्ञानियों की धरती पर ज्ञान की धारा तेज करने हेतु एक ऐसे ही व्यक्ति हुँए-डॉ शुकदेव प्रसाद (प्रो० गणित विभाग ,रांची विश्वबिधालय) जिन्होंने इस्लामपुर में विध्या की इस मंदिर को स्थापत करने का संकल्प लिया l उनकी इस कल्पना को मूर्त रूप से देने के लिय साथ-साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चलने को तैयार हुए श्री महावीर प्रसाद ग्राम-विष्णुपुर, री रामजी प्रसाद (ग्राम-मुर्गियाचक) श्री जगदीश प्रसाद (ग्राम-सुभानी विगहा) इत्यादि l कॉलेज का गौरव रहा की धिरे-धीरे इलाके अन्य गण्यमान्य लोग भी इसकी और आकर्षित होते गए l श्री छोटे लाल प्रसाद (ग्राम-मुगियाचक) ने महाविध्यालय का अपना भवन बनाने तक के लिए कॉलेज को अपना माकन समर्पित किया l श्री मधु गाराई (ग्राम-वरडीए) ने कॉलेज को भवन निर्माण के लिय अपना जमीन अनुदान में दिया जिसपर कॉलेज अवस्थित है l

इस प्रकार स्थानीय जनता के सहयोग से कॉलेज संचालन हेतु एक टीम का निर्माण हुआ और मार्च 1978 में कॉलेज की स्थापना हुई l कॉलेज संचालन हेतु एक ग्यारह सदस्यीय managing committee का गठन हुआ जिसमे श्री जगदीश प्रसाद (ग्राम-सुभानी बीघा) अध्यक्ष, श्री महावीर प्रसाद (ग्राम-विष्णुपुर) सचिव,तथा इसके अतिरिक्त श्री राम जी प्रसाद (रामजीवन प्रसाद, ग्राम-मुर्गियाचक) श्री सुखदेव प्रसाद (ग्राम-मखदुमपुर पाथ्रू) श्री यदुनंदन प्रसाद (ग्राम-मुर्गियाचक) श्री दू:खी प्रसाद (ग्राम- हजारी) श्री हुमैर अहमद (ग्राम-हेरथू) श्री रामप्यारे सिंह (ग्राम-केवई), डॉ सतीश कुमार (ग्राम-खुशहालपुर) श्री गोपाल प्रसाद (ग्राम-रानीपुर) श्री विजय कुमार जैन (इस्लामपुर) सदस्य निर्वाचित हुए l

श्री महावीर प्रसाद संस्थापक सचिव का कॉलेज सदा ऋणी रहेगा जिनके भागीरथ प्रयत्न से इस्लामपुर में कॉलेज का सपना साकार हुआ l श्री रामदेव महतो तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य, श्री शिवसहाय प्रसाद (ग्राम-मखदुमपुर, पाथ्रू) एवं श्री सरयू प्रसाद (ग्राम-छोटकी गोमहर) का भी कॉलेज की स्थापना एवं संचालन में सराहनीय योगदान रहा l

इनलोगों के अथक परिश्रम एवं इस्लामपुर के समस्त जनता के सहयोग से कॉलेज के दिन-दुनी रात चौगुनी तरकी होती गयी l धन्य है इस छेत्र की जनता-जिन्होंने तन-मन-धन से कॉलेज को आगे बड़ाने में सहयोग प्रदान किया और आज यह कॉलेज सम्बद्ध कॉलेज में मगध विश्वविध्यालय के अंतर्गत एक गौरवपूण इतिहास रखता है l

इस्लामपुर शहर के कोलाहल से दूर,बस स्टैंड से एक किलोमीटर पूर्व तथा इस्लामपुर रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर उतर-पशिचम यह कॉलेज इस्लामपुर-निश्चलगंज मार्ग पर मुहाने नदी के किनारे स्थित है जिसमे पूरब में डाकबंगला है l इस तरह यह कॉलेज प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक रमणीक विधास्थल है l आवागमन की सुबिधा के दृष्टीकोण से भी यह स्थान चारो दिशाओ से जुड़ा है l इस कॉलेज के सामने दक्षिण प्राचीन वास्तुकला का अदभुत नमूना दिल्ली दरबार तथा अनेक ऐसे ही पुरानी दर्शनीय ईमारत अवस्थित है जो इस शहर की संस्कृति इतिहास दरोहर है l आज भी इस्लामपुर आने वाले लोग वास्तुकला के इस नमूने को देखकर इसकी प्रसंसा किय बिना नहीं रहते l यु तो इस्लामपुर एवं इसके आस-पास के छेत्रों में अनेक नये कॉलेज खुले किन्तु उन सबो के बिच इस कॉलेज की एक अलग ही पहचान है l